मानव की जब उभर अनुवांशिकता आती, दिखती हैं पाश्विक युद्ध की विभीषिकाएं। मानव की जब उभर अनुवांशिकता आती, दिखती हैं पाश्विक युद्ध की विभीषिकाएं।
कलकल करती नदिया जो कल जो थी, कभी सूखी तो कभी तट तोड़ है बहती कलकल करती नदिया जो कल जो थी, कभी सूखी तो कभी तट तोड़ है बहती
संस्कार संस्कृति की धन्य धरोहर मां भारती के मूल्यों का राष्ट्र समाज में अलख जगाएं ! संस्कार संस्कृति की धन्य धरोहर मां भारती के मूल्यों का राष्ट्र समाज में अलख ...
देवालय सब शांत पड़े हैं, कोलाहल कम, ऐसा मंजर, भगवान को भी अब भाया है, देवालय सब शांत पड़े हैं, कोलाहल कम, ऐसा मंजर, भगवान को भी अब भाया है,
स्वरूपों की असंख्य परिभाषायें परिभाषाओं के महा शब्दजाल स्वरूपों की असंख्य परिभाषायें परिभाषाओं के महा शब्दजाल
सोच लो, जीवन के बदले जीवन, उन्होंने भी ये प्रस्ताव बनाया है, राजमार्ग को चौड़ा करने सोच लो, जीवन के बदले जीवन, उन्होंने भी ये प्रस्ताव बनाया है, राजमार्ग को च...